
ल्यूपस पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक क्यों प्रभावित करता है?
By in Rheumatology
May 12, 2025
ल्यूपस (Systemic Lupus Erythematosus या SLE) एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद अपने ऊतकों और अंगों पर हमला करती है। यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लगभग 9 गुना अधिक पाई जाती है।
महिलाएं ज्यादा क्यों प्रभावित होती हैं?
डॉ. किरण सेठ के अनुसार, “ल्यूपस को मुख्यतः हार्मोनल, जेनेटिक और इम्यूनोलॉजिकल कारणों से जोड़ा जाता है। महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता और हार्मोनल बदलाव, जैसे पीरियड्स, गर्भावस्था और मेनोपॉज, इस बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं।”
प्रमुख कारण:
- एस्ट्रोजन का प्रभाव – एस्ट्रोजन शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। इस वजह से ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा महिलाओं में अधिक होता है।
- जेनेटिक प्रवृत्ति – यदि परिवार में पहले किसी को ल्यूपस रहा है, तो महिलाओं में यह खतरा और बढ़ जाता है।
- इम्यून सिस्टम में अंतर – महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक सक्रिय होती है, जो संक्रमण से तो लड़ती है, लेकिन कभी-कभी शरीर के अपने अंगों को ही निशाना बनाने लगती है।
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सामान्य लक्षण:
- बार-बार बुखार आना
- अत्यधिक थकावट
- जोड़ों में दर्द और सूजन
- त्वचा पर लाल चकत्ते (विशेषकर चेहरे पर तितली के आकार का)
- बाल झड़ना
- फोटोसेंसिटिविटी (धूप से त्वचा पर रिएक्शन)
- गुर्दे या अन्य अंगों में सूजन
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निदान और इलाज:
“ल्यूपस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही समय पर निदान और नियमित इलाज से मरीज एक सामान्य जीवन जी सकता है,” डॉ. किरण ।
उपचार में शामिल हैं:
- सूजन कम करने के लिए स्टेरॉइड्स या इम्यूनो-सप्रेसिव दवाइयाँ
- नियमित ब्लड टेस्ट और ऑर्गन मॉनिटरिंग
- स्वस्थ जीवनशैली और तनाव प्रबंधन
महिलाओं को विशेष ध्यान क्यों देना चाहिए?
- गर्भवती महिलाओं में ल्यूपस से गर्भपात, समयपूर्व प्रसव या प्री-एक्लेम्प्सिया का खतरा बढ़ सकता है।
- हार्मोनल उतार-चढ़ाव से ल्यूपस की गतिविधि बढ़ सकती है।
डॉ. सेठ की सलाह:
“अगर किसी महिला को लंबे समय तक थकावट, जोड़ों का दर्द या बार-बार बुखार की शिकायत हो, तो उसे किसी रूमेटोलॉजिस्ट से जरूर परामर्श लेना चाहिए। समय रहते किया गया इलाज जीवन को आसान और सुरक्षित बना सकता है।