स्ट्रोक आने पर साढ़े चार घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचे: आप पूर्णतः स्वस्थ हो सकते हैं| डॉ सुषमा शर्मा
By Dr. Sushma Sharma in Neurosciences
Dec 27, 2019
आजकल की अव्यवस्थित जीवनशैली में इंसान इतना व्यस्त हो गया है की उसके पास खुद के लिए ही समय नहीं है। ऑफिस और घर के कामकाज में हम अपने शरीर का ध्यान रखना भूल गए है, इस वजह से बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी ही बीमारी है जो बदलते लाइफस्टाइल के साथ बढ़ रही है, जहाँ पहले स्ट्रोक केवल 50 -60 वर्ष की ऊपर के लोगो में होता था, वहीँ आज ये युवा वर्ग को भी अपनी चपेट में ले रहा है।
स्ट्रोक क्या है
दिमाग के किसी हिस्से में अचानक रक्त का प्रवाह रुक जाने से होने वाली बीमारी को स्ट्रोक कहते है। रक्त का प्रवाह रक्त धमनियों (आर्टरी) में अचानक खून का थक्का (clot) बनने से या आर्टरी के अचानक फट जाने से रुक जाता है।
स्ट्रोक के लक्षण
अगर समय रहते स्ट्रोक के निम्न्लिखित लक्षणों को पहचान लिया जाए तो मरीज़ को पूरी तरह से बचाया जा सकता है।
- चेहरे, बांह या फिर पैरों में अचानक कमजोरी आना।
- बोलने और समझने में दिक्कत होना
- चलने में दिक्कत होना या फिर चक्कर आना, शून्य जैसे स्थिति होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचे।
स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर
हाइपर टेंशन, मोटापा, शुगर, हाई कोलेस्ट्रोल, स्मोकिंग आदि स्ट्रोक के मुख्य कारण है|
डॉ सुषमा शर्मा, वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट बताती है की स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानना और ध्यान में रखना बहुत जरूरी है, और यदि आपके आसपास किसी को इनमे से कोई भी लक्षण हो तो बिना समय गवाएं उन्हें अस्पताल पहुंचाए और मरीज़ की जान बचाइए। उन्होंने बतया की स्ट्रोक की ट्रीटमेंट में थ्रोम्बोलाइटिक इंजेक्शन का इस्मेताल किया जाता है जिससे क्लॉट को घोल कर ब्रेन को बचाया जा सकता है। किन्तु इसके लिए समय पर अस्पताल पहुंचना जरूरी है क्योंकि कुछ घंटो तक (साढे चार घंटो तक) ही thrombolytic therapy दी जा सकती है, यह तकनीक बहुत कामयाब है। मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद में स्ट्रोक के लगभग 400 मरीज़ों का थ्रोम्बोलाइटिक इंजेक्शन द्वारा सफल इलाज़ किया जा चुका है। मैट्रो अस्पताल फरीदाबाद में अत्याधुनिक न्यूरोलैब, जिसमे CT scan, MRI, NCV, EMG, EEG आदि सभी सुविधा उपलब्ध है| हमारी क्रिटिकल केयर यूनिट, वरिष्ठ विशेषज्ञों के साथ 24 घंटे कार्यरत रहती है।