Arthritis- what. Types symptoms and preventions
By Dr. Kiran Seth in Rheumatology
Oct 12, 2020
गठिया जिसे अँग्रेजी में अर्थराइटिस कहा जाता है दरअसल शरीर के जोड़ों में होने वाली सूजन को कहा जाता है। जोड़ों की यह सूजन शरीर के किसी एक हिस्से, किसी एक जोड़ या एक से अधिक जोड़ों और हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। यह तकलीफ रूमेटाइड मसक्यूलर स्काल्टल डिसिस कहलाती है जिसके कारण व्यक्ति की काम करने की क्षमता तो प्रभावित होती ही है साथ ही शरीर के अन्य विभिन्न अंगों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। विश्व अर्थराइटिस दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय जनता को सावधान करने के उद्देश्य से प्रसिद्ध रूमेटाइडिस्ट डॉ किरण सेठ बताती हैं, कि इस रोग का फैलाव इस समय डाइबिटीज़ जैसी बीमारी से भी अधिक हो गया है।
विभिन्न शोध रिपोर्ट में यह देखा गया है कि इस बीमारी से ग्रसित लोग यदि समय से अपने रोग के लक्षणों को अनदेखा कर देते हैं तो यह लक्षण या तो शारीरिक विकलांगता या फिर कभी-कभी मृत्यु का भी कारण बन जाते हैं। इन लक्षणों में प्रमुख हैं शरीर के विभिन्न प्रकार के जोड़ या उसके आसपास के क्षेत्र में तीन महीनों से अधिक रहने वाला असाध्य शारीरिक दर्द जिसमें सामान्य रूप से ली जाने वाली दर्द निवारक दवाओं से असर नहीं होता है। इस स्थिति में व्यक्ति को तुरंत गठिया के विशेषज्ञ जिसे रूमेटाइडिस्ट कहा जाता है, से संपर्क करना चाहिए।वर्ष 2020 में विश्व भर में फैली महामारी के कारण गठिया की तकलीफ के लक्षण पहले के मुक़ाबले अधिक दिखाई दे रहे हैं।
अर्थराइटिस के डॉक्टर से कब मिलें:
आमतौर पर भारतीय शरीर में होने वाले सामान्य दर्द और बुखार को अनदेखा कर देते हैं जिसके कभी-कभी घातक परिणाम हो सकते हैं। आमतौर पर गठिया के सामान्य लक्षण निम्न हो सकते हैं:
- व्यक्ति के शरीर में जोड़ों में हर समय दर्द बना रहता है। अगर यह दर्द 6-8 हफ्ते या इससे अधिक की अवधि तक पेन किलर लेने के बाद भी बना रहता है तब तुरंत चिकिसक या रीयुमेटोलोजिस्ट से मिलना चाहिए।
- सामान्य और आसानी से किए जाने वाले काम-काज करने को करने में दर्द और तकलीफ का एहसास होता है और इसके साथ काम करने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
- गठिए से प्रभावित जोड़ों में, जोड़ के आसपास के हिस्से में सूजन और जकड़न हो रही है और इसके कारण उन अंगों में विकृति दिखाई देने लगी है।
- कई बार व्यक्ति के शरीर में खून की कमी या एनीमिया की शिकायत भी होने लगती है। इसके कारण व्यक्ति बिना काम के भी हर समय थकान महसूस कर सकता है।
- गठिया अगर गंभीर रूप जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस का रूप अगर ले लेता है तब भूख की कमी के साथ ही व्यक्ति की इमम्युनिटी भी कम होने लगती है।
सामान्य रूप से गठिया के 250 प्रकार बताए गए हैं। लेकिन समझने की दृष्टि से गठिया दो प्रकार का हो सकता है :
औस्टियोर्थ्रइटिस :
इसे इन्फ़्लामेंटरी अर्थराइटिस की श्रेणी में रखा जाता है। इस प्रकार के गठिया आमतौर पर शरीर के छोटे-छोटे जोड़ जैसे हाथ या पैर की उँगलियों में जकड़न, दर्द या सूजन के रूप में होता है। इससे प्रभावित अंग से काम करने में परेशानी होती है। लेकिन अधिकतर यह गठिया घुटने, कूल्हे और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस:
यह नॉन इन्फ़्लामेटरी अर्थराइटिस की श्रेणी का गठिया माना जाता है। इस प्रकार के गठिया में शरीर की इमम्युनिटी कमजोर हो जाती है और जोड़ों के बीच की परत को नुकसान होने लगता है। इस कारण हड्डियों के घिसने और जोड़ों में विकृति आने लगती है।
गठिया से कैसे बचें:
लॉकडाउन के समय में अपने को गठिया जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
- नियमित रूप से प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट जितनी हो सके उतनी इस प्रकार की एक्सरसाइज़ करें जिससे शरीर का हर अंग हरकत में आ जाए।
- वर्क फ़्रोम होम में काम करते समय अपने को अधिक से अधिक एक्टिव रखें। इसके लिए हर 25-30 मिनट बाद अपने वर्क-स्टेशन से हटकर थोड़ी चहलकदमी और डेस्क या चेयर एक्सरसाइज़ करें।
- अपने शारीरिक वज़न को बढ्ने न दें। इसके लिए ज़रूरी हो तो खान-पान में भी परिवर्तन कर लें।
- स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से बिल्कुल दूरी बना कर रखें।