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Interventional Cardiology, Cardiology
इन दिनों देश के अधिकांश हिस्सों में गर्मी से बुरा हाल है और स्वस्थ लोगों के लिए यह बिल्कुल ठीक नही है। हृदय की समस्या वाले लोगों के लिए कड़ी धूप व गर्म दिन में काम करना व बाहर निकलना खतरनाक हो सकता है। आज भारत में होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजह हृदय संबंधी बीमारियां हैं। जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसकी एक वजह यह है कि लोग तब तक अपने हृदय की जाँच नहीं करवाते जब तक कि बीमारी पूरी तरह से बढ़ नहीं जाती। आपका शरीर बहुत अधिक गर्म (या बहुत ठंडा) नहीं होना चाहिए। यदि आपका तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो प्रोटीन जो आपके शरीर का निर्माण करते हैं काम करना बंद कर देते हैं। मानव शरीर दो तरीकों से अतिरिक्त गर्मी लेता है और दोनों ही हृदय को तनाव देते हैं विकिरण (रेडियेषन) - पहाड़ों के बहते पानी की तरह, गर्मी स्वाभाविक रूप से गर्म क्षेत्रों से ठंडे क्षेत्रों तक चलती है। जब तक आपके आस-पास की हवा आपके शरीर की तुलना में ठंडी होती है, आप गर्मी को हवा में फैलाते हैं। लेकिन जब हवा का तापमान आपके शरीर के तापमान के बराबर पहुंचता है तो यह स्थानांतरण रुक जाता है। रेडियेषन को रक्त प्रवाह को पुनः व्यवस्थित करने की आवश्यकता होती है, ताकि इसका अधिक हिस्सा त्वचा में जा सके। इससे दिल तेजी से धड़कता है और सख्त हो जाता है। एक ठंडे दिन की अपेक्षा गर्म दिन में, यह प्रत्येक मिनट में दो से चार गुना अधिक रक्त प्रवाहित करता है। वाष्पीकरण - पसीने का हर अणु जो आपकी त्वचा से वाष्पित होता है, गर्मी को दूर भगाता है। शुष्क दिन पर, एक चम्मच पसीने का वाष्पीकरण आपके पूरे रक्त प्रवाह को 2 डिग्री तक ठंडा कर सकता है। लेकिन जब नमी 75 प्रतिषत से अधिक होती है तो हवा में इतना जल वाष्प हो जाता है कि तेजी से वाष्पीकरण होना मुश्किल हो जाता है। वाष्पीकरण भी हृदय प्रणाली को तनाव देता है। पसीना शरीर से गर्मी खींचता है तथा मांसपेशियों से सोडियम, पोटेशियम व अन्य आवश्यक खनिजों को भी खींचता है जो षरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखता है। अधिकांश स्वस्थ लोग इन बदलावों को सहन कर जाते हैं। परन्तु बिमार, कमजोर दिल वाले, या बुजुर्ग लोग जिनके शरीर एक बार किए गए तनाव का सहजता से जवाब नहीं दे पाते, वे हीट स्ट्रोक का शिकार हो सकते हैं। हीट स्ट्रोक हीट स्ट्रोक यानी लू लगना गर्मी का सबसे गंभीर रूप है और इसे मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है हीट स्ट्रोक मस्तिष्क या षरीर के अन्य आंतरिक अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है हालांकि हीट स्ट्रोक मुख्य रूप से 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन यह स्वस्थ युवा एथलीटों पर भी भा पड़ता है। हीट स्ट्रोक से अक्सर गर्मी की ऐंठन, बेहोशी, और थकावट जैसी समस्याएं होती है।...